विवेकानंद पाण्डेय
छत्तीसगढ़ में एक जगह ऐसी भी है जो आज से 29 करोड़ वर्ष पहले के मरीन फासिल्स को अपने अंदर समेटे हुए हैं.मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर: एमसीबी जिले के मनेंद्रगढ़ में हसदेव नदी के तट पर समुद्री जीवों के जीवाश्म मिले हैं.इस जगह को लोग गोंडवाना मरीन फॉसिल के नाम से जानते हैं.माना जाता है कि ये जीवाश्म 29 करोड़ वर्ष पुराने हैं.इसके सरक्षण के लिए प्रयास जारी है.क्योंकि ये एशिया का सबसे पुराना समुद्री जीवाश्म है. तलचर संरचना गोंडवाना बेसिन का एक हिस्सा है.यह संरचना बलुआ पत्थर, शेल , ब्रेकीएटेड, कंग्लोमेरेट से बनी है.
किसने लगाया फासिल्स का पता : गोंडवाना मरीन फासिल्स एशिया का सबसे बड़ा जीवाश्म स्थल है. देश-विदेश से वैज्ञानिक ,पुरातत्ववेता यहां अध्ययन के लिए आए हैं. कार्बन डेटिंग से पता चला कि 29 करोड़ वर्ष पुराना है पहले 1954 में इसकी खोज डॉक्टर एसके घोष ने की.अगस्त 2021 में बीरबल साहनी पैलियोसाइंस इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों और छत्तीसगढ़ राज्य जैव विविधता बोर्ड और वन विभाग के अधिकारियों ने इस क्षेत्र का निरीक्षण किया था. मार्च 2022 में इस राज्य का पहला मरीन फॉसिल पार्क घोषित किया गया था.मनेन्द्रगढ़ के आमाखेरवा इलाके के पास हसदेव नदी के बीच एक किलोमीटर के क्षेत्र में समुद्री जीवों और वनस्पतियों से जीवाश्म भरा है.
इस क्षेत्र में वाईवॉल्व ,मोलस्का ,यूरीडेसमा , एवीक्यूलोपेक्टेन आदि समुद्री जीवाश्म मौजूद हैं इसके अलावा पेलिस्पोडस गैस्ट्रोपोडस, ब्रायोजोन्स क्रीनएड्स प्रजाति के जीव हैं.अभी जीवाश्म वाली जगह को वन विभाग ने घेर लिया है. जीवाश्म के अलावा दुर्लभ प्रजाति के जीव और वनस्पतियों को भी संरक्षित करने की योजना है. विभाग की ओर से यहां जीवाश्म के अलावा दुर्लभ प्रजाति के जीवों के अवशेष भी संरक्षित रखे जाएंगे-
मनीष कश्यप ,
वन मंडलाधिकारी मनेंद्रगढ़
छत्तीसगढ़